डीएम और कमिश्नर में क्या अंतर है, डीएम और कमिश्नर में अंतर, Difference Between DM And Commissioner, DM VS Commissioner, DM VS Police Commissioner के बारे में जानकारी पढ़ें।
आज के समय में डीएम और कमिश्नर दोनों ही पद बड़े माने जाते है, जिले में इनको बहुत सम्मानजनक पद माना जाता हैं। डीएम और कमिश्नर में कई तरह से अंतर होते है, जिसके बारे में आज बात करेंगे।
आज हम डीएम और कमिश्नर में क्या अंतर है (DM Aur Commissioner Mein Kya Antar Hai) के बारे में सारी बातें करेंगे।
आज आपको डीएम और कमिश्नर के पदों के बीच अंतर, डीएम और कमिश्नर के कार्यों में अंतर, DM Aur Commissioner Mein Kya Antar Hai, Difference Between DM And Commissioner के बारे में भी जानकारी जानेंगे।
डीएम और कमिश्नर में क्या अंतर है? (DM Aur Commissioner Mein Kya Antar Hai)
आजकल कई लोगों को पता नहीं है कि डीएम और कमिश्नर में क्या अंतर है, लेकिन इसका जवाब बताने के लिए इस आर्टिकल में सारी जानकारी दे रहे है।
डीएम को जिले का सबसे बड़ा प्रशानिक अधिकारी माना जाता है, डीएम को जिले की हर प्रशासनिक गतिविधि और कार्यों पर नजर रखनी पड़ती है। लेकिन कमिश्नर इससे अलग है।
कमिश्नर एक पुलिस विभाग का अधिकारी होता है, इनका काम पूरे जिले की कानून व्यवस्था को संभालना होता है।
एक जिले में एक ही डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ही नियुक्त किया जाता है, ताकि वह सही से जिले के प्रशासन कार्यों का संचालन कर पाए। जबकि पुलिस कमिश्नर पुलिस विभाग का काफी ऊंचा पद होता है, जिसे एक से अधिक जिले के कार्यों की जिम्मेदारी दी जाती है।
इस तरह देखा जाए तो डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और पुलिस कमिश्नर में कई तरह से अंतर होता है। डीएम और कमिश्नर के कार्यों, सैलरी, चयन प्रक्रिया आदि में अंतर होता है। इन सब अंतर के बारे में सारी बातें आपको यहां पता चलेगी।
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डीएम और कमिश्नर के पदों के बीच अंतर (Difference Between DM And Commissioner)
डीएम और कमिश्नर के पदों में भी काफी अंतर होता है और यह दोनों अलग-अलग विभाग के पद होते हैं, इन दोनों के कार्य और शक्तियां भी अलग-अलग होती है।
#1: डीएम क्या होता है? (District Magistrate Kya Hota Hai)
जैसा की डीएम के नाम से ही पता चलता है कि यह जिले का उच्च अधिकारी होता है तथा इसको जिले के हर छोटे-बड़े कार्य में अपना योगदान देना होता है। डीएम को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट कहते हैं, जिले के कई विभागों पर डीएम का नियंत्रण होता है।
जिले में प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से करने के लिए डीएम जिम्मेदार होता है। प्रशासनिक कार्यों के अलावा डीएम कानूनी कार्य, राजस्व के कार्य, अपराध नियंत्रण कार्य, आपदा प्रबंधन के कार्य आदि में अपना योगदान देता है।
#2: कमिश्नर क्या होता है? (Commissioner Kya Hota Hai)
कमिश्नर पुलिस विभाग का उच्च अधिकारी होता है, पुलिस कमिश्नर पुलिस विभाग से जुड़े कार्य करता है। यह अपने जिले के कई बड़े पुलिस अधिकारीयों के कार्यों पर निगरानी रखता है।
जब भी जिले में कानून व्यवस्था बिगड़ती नजर आती है तो पुलिस कमिश्नर तुरंत इसके बारे में निर्णय लेते हैं। पुलिस कमिश्नर के अंतर्गत कई छोटे-बड़े पुलिस अधिकारी कार्य करते हैं।
कमिश्नरी व्यवस्था में पुलिस कमिश्नर का पद सबसे बड़ा पद होता है। पुलिस कमिश्नर को जरूरी निर्णय लेने के लिए किसी बड़े प्रशासनिक अधिकारी के अनुमति की जरूरत नहीं होती है।
डीएम और कमिश्नर की योग्यता में अंतर (Difference Between DM And Commissioner Qualifications)
ऐसा नहीं है कि केवल डीएम और पुलिस कमिश्नर के पदों के बीच अंतर होता है, डीएम की योग्यता और पुलिस कमिश्नर की योग्यता में काफी अंतर होता है।
#1: डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनने के लिए योग्यता (District Magistrate Qualification In Hindi)
डीएम बनने के लिए योग्यता और निर्धारित उम्र के बारे में जानकारी नीचे दी गई है।
- डीएम बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार किसी विषय में ग्रेजुएट होना जरूरी है।
- जनरल कैटेगरी वालों की उम्र 21 साल से 30 साल होनी चाहिए।
- ओबीसी वालो की 21 साल से 33 साल तक तथा एससी और एसटी वाले उम्मीदवारों की 21 साल से 35 साल तक उम्र निर्धारित की गई है।
#2: कमिश्नर बनने के लिए योग्यता (Commissioner Banne Ke Liye Qualification)
कमिश्नर बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता, निर्धारित उम्र के अलावा शारीरिक योग्यता होना भी आवश्यक होता है। तो आइए जानते हैं कि पुलिस कमिश्नर बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
- पुलिस कमिश्नर बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता में आपके पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
- उम्मीदवार भारत का हो और उस पर किसी प्रकार का केस ना हो।
- जनरल कैटेगरी वाले उम्मीदवारों की उम्र कम से कम 30 साल और अधिक से अधिक 32 साल तय की गई है।
- पुलिस कमिश्नर बनने के लिए ओबीसी वर्ग वाले 35 साल के होने तक इसके लिए योग्य होते है।
- जबकि एससी और एसटी वर्ग के लिए 37 साल की आयु सीमा निर्धारित की गई है।
आपको यहां पर डीएम और कमिश्नर की योग्यता में कुछ अंतर नजर आया होगा, लेकिन इन योग्यताओं में एक और बड़ा अंतर भी है।
डीएम बनने के लिए ज्यादा शारीरिक योग्यता नहीं देखी जाती है लेकिन कमिश्नर बनने के लिए यह सब देखा जाता है।
जैसे जनरल और ओबीसी वाले उम्मीदवारों की हाइट 165 सेमी होनी चाहिए, एससी और एसटी वर्ग वालों कि हाइट 160 सेमी होनी चाहिए।
महिलाएं जो जनरल और ओबीसी वर्ग की है, उनकी हाइट 150 सेमी होनी चाहिए तथा एससी और एसटी वर्ग की महिलाओं की हाइट 145 सेमी जरूरी है।
पुरुषों की छाती का माप 84 सेमी होना चाहिए, अब आप डीएम और कमिश्नर में अंतर के बारे काफी जान गए होंगे।
डीएम और कमिश्नर के कार्यों के बीच अंतर (Difference Between DM And Commissioner Functions)
आपने अब तक DM VS Commissioner के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त की है, अब डीएम और कमिश्नर के कार्यों में अंतर को समझेंगे।
#1: डीएम का क्या कार्य होता है? (DM Kya Kaam Karta Hai)
जिले के उच्च अधिकारी होने के नाते डीएम को ज्यादा जिम्मेदारी वाले कार्य सौंपे जाते है, ताकि वह अपने अनुभव से सभी कार्य सही से कर सके।
- जिले में कई प्रशासनिक कार्यों को प्रभावी ढंग से करने की सारी जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की होती है।
- जिले में बढ़ते क्राइम को कम और नियंत्रण में लाने का काम डीएम का होता है।
- अपराधियों को पकड़ने, फायरिंग करने आदि जैसे निर्णय लेने का अधिकार एक डीएम को होता है।
- जिले के कई बड़े विभागों का सही से संचालन करना और उनकी सभी गतिविधियों पर ध्यान रखना डीएम का काम होता है।
- पुलिस विभाग जैसे कानूनी विभाग पर डीएम का कंट्रोल होता है।
- सरकारी कार्यों में बड़े अधिकारियों की डीएम सहायता करता है।
- राज्य में लागू होने वाले नए नियमों या कानूनों को सब जगह लागू करवाने में सरकार की मदद करता है।
- जिले और जिले में आने वाली तहसीलों, ब्लॉक, गांवों की मुसीबत के समय सहायता करने का काम करता है।
#2: कमिश्नर का क्या काम होता है? (Commissioner Ka Kya Kaam Hota Hai)
कमिश्नर को पुलिस विभाग में कई बड़े और जरूरी कार्य करने की समझ होती है, पुलिस कमिश्नर के कार्य निम्नलिखित होते हैं।
- पुलिस कमिश्नर अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर कानून व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के काम करता है।
- लोगों को कानून और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना भी कमिश्नर के कार्यों की सूची में शामिल है।
- पुलिस विभाग के सभी अधिकारियों के कार्यों की रिपोर्ट की जांच भी करता है।
- पुलिस अधिकारियों का ट्रांसफर भी कमिश्नर कर सकता है।
- पुलिस कमिश्नर को कानूनी कार्रवाई करने में डीएम के आदेश की जरूरत नहीं होती है।
- कई प्रकार के लाइसेंस के लिए भी अनुमति प्रदान करता है।
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डीएम और कमिश्नर की सैलरी के बीच अंतर (DM VS Commissioner Salary)
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की हर महीने की सैलरी 1 लाख रुपए होती है, लेकिन कुछ समय बाद इससे ज्यादा की सैलरी डीएम को मिलनी शुरू हो जाती है। डीएम को घर, गाड़ी, नौकर, सिक्योरिटी गार्ड आदि जैसे सुविधा भी मिलती है।
जबकि पुलिस कमिश्नर की सैलरी हर महीने 2.25 लाख रुपए तक होती है, इन्हे भी कई सुविधाएं मिलती है। तो यह था DM VS Police Commissioner के बीच अंतर।
FAQs – डीएम और कमिश्नर में क्या अंतर है?
डीएम और पुलिस कमिश्नर में अंतर से जुड़े कुछ सवालों के बारे में भी ध्यान से, इससे आपको कुछ और सीखने को मिलेगा।
#1: कमिश्नर की तनख्वाह कितनी होती है?
एक पुलिस कमिश्नर को हर महीने 2 लाख रुपए से ज्यादा की सैलरी, अन्य भत्ते और सुविधाएं दी जाती है।
#2: डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कैसे बने?
डीएम बनने के लिए आपके अंदर निर्धारित शैक्षणिक योग्यता और आवेदन करने के लिए निश्चित उम्र होनी चाहिए। पढ़ाई के लिए कड़ी मेहनत करने की शक्ति भी होनी चाहिए।
डीएम बनने के लिए कई प्रकार के विषयों की पढ़ाई करनी पड़ती है, आपको यूपीएससी का एग्जाम पास करना पड़ता है। आईएएस अधिकारी बनने के बाद पदोन्नति करने पर आप डीएम बना सकते हैं।
निष्कर्ष – डीएम और कमिश्नर में क्या अंतर है?
डीएम और कमिश्नर में क्या अंतर है, इसके बारे में सारी जानकारी इस लेख में दी गई है। आपको इस आर्टिकल में डीएम और कमिश्नर में अंतर समझ आ गया होगा।
डीएम और कमिश्नर की योग्यता में अंतर, डीएम और कमिश्नर के कार्यों के बीच अंतर, Difference Between DM And Commissioner, DM VS Commissioner, DM VS Commissioner In Hindi आदि जैसी जानकारी पसंद आई होगी।
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